Description
मुसाफ़िर हूँ यारों – बचपन में भूगोल पढ़ने का बहुत शौक़ था । क्लास में एटलस निकालकर दुनिया भर की जगहों के नाम खोजने का खेल खेला करते थे। कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। पत्रकारिता ने घूमने के बहुत अवसर दिये । बचपन के सारे सवाल और जिज्ञासाओं के जवाब दुनिया भर में घूमकर तलाशे। हिन्दी पत्रकारिता की जुझारू पथरीली राह से कुछ बेहतरीन रास्ते निकले। रिपोर्टिंग करियर के दौरान यूनाइटेड नेशन की सात अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस कवर कीं। यह अवसर स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में मिली दो अन्तरराष्ट्रीय फ़ेलोशिप की वजह से मिला। इनमें से एक एचआईवी एड्स पर काइज़र फ़ाउंडेशन यूएस की थी और दूसरी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट सीएसई की। घुमक्कड़ी के बारे में विचारकों ने काफ़ी कुछ कहा है। मेरा अपना अनुभव भी यही है कि किताबें बहुत ज़रूरी हैं। वह उत्सुकता जगाती हैं लेकिन जिज्ञासाओं का शमन घूमने से होता है। पत्रकार को अपने ठौर से बाहर निकलने के हर अवसर का फ़ायदा उठाना चाहिए। आदिकाल से मनुष्य घुमक्कड़ रहा है। के लोग जितने घुमक्कड़ थे आज वह मुल्क उतना ही समृद्ध है। -सुधीर मिश्र
Author: Sudhir Mishra
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789357750172
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 95
Country of Origin: India
International Shipping: No
Reviews
There are no reviews yet.