Description
जितना विराट हैं संघ का आज का स्वरूप, उतना ही रहस्यमय है उसका उद्भव और उसकी विकास-यात्रा। प्रसिद्धि-पराक्मुखता और गुमनामी के अँधेरे से बाहर निकलकर संघ आज प्रचार माध्यमों की जिज्ञासा और कौतूहल का केंद्र बन गया है; किंतु सार्वजनिक जीवन में पाश्चात्य कार्य-पद्धतियों के अभ्यस्त मस्तिष्कों के लिए यह समझना कठिन हो रहा है कि संघ का बीज कहाँ है और वह इतना विशाल वृक्ष कैसे बन गया। उसका प्रारंभिक लक्ष्य क्या था, उसने बीज से वृक्ष का रूप कैसे धारण किया, उसकी प्रेरणा का स्रोत कहाँ है और उसकी कार्य-पद्धति का वैशिष्ट्य क्या है? इस पुस्तक के संगृहीत लेखों में ऐसी ही जिज्ञासाओं का शमन करने का प्रयास किया गया है।
लिखित शब्द के अभाव में संघ के जन्मदाता डी. हेडगेवार और उनके हाथों गढ़े गए कार्यकर्ताओं की प्रारंभिक टोली के जीवन में ही संघ की विकास यात्रा की गाथा छिपी है। उनमें से कुछ व्यक्तित्वों में झाँकने का यहाँ प्रयास है। इन लेखों से यह भी ध्वनित होता है कि संघ की संगठन-यात्रा सीधी-सपाट राह पर नहीं चली है, बदलती हुई परिस्थितियों ने समय-समय पर उसके भीतर ऊहापोह और अंतर्द्वंद्व का झंझावात खड़ा किया है। वैचारिक अंतर्द्वंद्व के ऐसे क्षणों का वस्तुनिष्ठ ऐतिहासिक अध्ययन संघ के स्वयंसेवकों की निष्ठा को सुदृढ़ और विवेकी बनाने के लिए आवश्यक है। यह लेख-संग्रह इस दृष्टि से भी सहायक सिद्ध होगा।
Author: Devendra Swaroop
Publisher: Devendra Swaroop
ISBN-13: 9.78935E+12
Language: Hindi
Binding: Hardbound
No. Of Pages: 271
Country of Origin: India
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