Description
बहुत सारे कोरे पन्नों के बीच मैंने बहुत सारा ख़ाली वक़्त बिताया है। नाटक और कविताएँ लिखने के बीच बहुत सारा कुछ था जो अनकहा रह जाता था.. कहानियाँ मेरे पास कुछ इस तरह आईं कि मेरी कविताएँ और नाटक सभी पढ़ और देख रहे थे, कहानियाँ लिखना कोई बहुत अपने से संवाद जैसा हो गया था। मैं बार-बार उस अपने के पास जाने लगा.. मैं जब भी कहानी लिखता मुझे लगता यह असल में सुस्ताने का वक़्त है.. इन सुस्ताती बातों में कब
Author: Manav Kaul
Publisher: Hind Yugm
ISBN-13: 9789384419400
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 192
Country of Origin: India
International Shipping: No
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