Description
रंगमंच पर अभिनय करने, सभा सोसायटी या राजनीतिक मंच पर भाषण करने, कक्षा में छात्रों को पढ़ाने के लिये, ठीक से अपने आपको अभिव्यक्त करने के लिये बोलने की कला जानना अत्यावश्यक है। सामान्य जीवन में भी शिष्ट व्यवहार और मधुर बातचीत के लिये भी यह कला उपयोगी सिद्ध होगी। अभिनय, भाषण या बातचीत स्मृति और बुद्धि के सहारे चलते हैं तो बहुधा आपको आलेख या निबन्ध, मंच या रेडियो पर पढऩा भी होता है, वहाँ भी बोलने की कला काम आती है। बोलने की कला शुद्ध उच्चारण या सही व्याकरण सहमत भाषा मात्र नहीं है। उसमें उतार-चढ़ाव, बल, भावाभिव्यंजना, काकु प्रयोग, विश्राम के साथ खड़े होने का कायदा, हाथ और मुख की मुद्रा का रहस्य भी जानना होता है। बोलने की कला सीखकर व्यक्ति कुशल अभिनेता या भाषणकत्र्ता ही नहीं, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायुष्य की कुंजी भी प्राप्त कर लेता है। यह पुस्तक वाक्सिद्धि का अमोघ मंत्र प्रदान करती है।
Author: Dr. Bhanushankar Mehta
Publisher: Vishwavidyalaya Prakashan
ISBN-13: 9788171247905
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 196
Country of Origin: India
International Shipping: No
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